आईपीसी धारा 361 विधिपूर्ण संरक्षकता में से व्यपहरण | IPC Section 361 In Hindi

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आईपीसी धारा 361: विधिपूर्ण संरक्षकता में से व्यपहरण

जो कोई किसी अप्राप्तवय को, यदि वह नर हो, तो 1सोलह वर्ष से कम आयु वाले को, या यदि वह नारी हो तो  2अठारह वर्ष से कम आयु वाली को या किसी विकृतचित्त व्यक्ति को, ऐसे अप्राप्तवय या 

विकृतचित्त व्यक्ति के विधिपूर्ण संरक्षक की संरक्षकता में से ऐसे संरक्षक की सम्मति के बिना ले जाता है या बहका ले जाता है, वह ऐसे अप्राप्तवय या ऐसे व्यक्ति का विधिपूर्ण संरक्षकता में से व्यपहरण करता है, यह कहा जाता है।

स्पष्टीकरण:- इस धारा में “विधिपूर्ण सरंक्षक” शब्दों के अन्तर्गत ऐसा व्यक्ति आता है जिस पर ऐसे अप्राप्तवय या अन्य व्यक्ति की देखरेख या अभिरक्षा का भार विधिपूर्वक न्यस्त किया गया है।

अपवाद:- इस धारा का विस्तार किसी ऐसे व्यक्ति के कार्य पर नहीं है, जिसे सद्भावपूर्वक यह विश्वास है कि वह किसी अधर्मज शिशु का पिता है, या जिसे सद्भावपूर्वक यह विश्वास है कि वह ऐसे शिशु की विधिपूर्ण अभिरक्षा का हकदार है, जब तक कि ऐसा कार्य दुराचारिक या विधिविरुद्ध प्रयोजन के लिए न किया जाए।

संशोधन

  1. 1949 के अधिनियम सं० 42 की धारा 2 द्वारा “चौदह” के स्थान पर प्रतिस्थापित
  2. 1949 के अधिनियम सं० 42 की धारा 2 द्वारा “सौलह” के स्थान पर प्रतिस्थापित

-भारतीय दंड संहिता के शब्द

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