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अनुच्छेद 142 उच्चतम न्यायालय की डिक्रियों और आदेशों | Article 142 In Hindi

पथ प्रदर्शन: भारतीय संविधान > भाग 5 : संघ > अध्याय 4- संघ की न्यायपालिका > अनुच्छेद 142

अनुच्छेद 142: उच्चतम न्यायालय की डिक्रियों और आदेशों का प्रवर्तन और प्रकटीकरण आदि के बारे में आदेश

142(1): उच्चतम न्यायालय अपनी अधिकारिता का प्रयोग करते हुए ऐसी डिक्री पारित कर सकेगा या ऐसा आदेश कर सकेगा जो उसके समक्ष लंबित किसी वाद या विषय में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक हो और इस प्रकार पारित डिक्री या किया गया आदेश भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र ऐसी रीति से, जो संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन विहित की जाए, और जब तक इस निमित इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक, ऐसी रीति से जो राष्ट्रपति आदेश1 द्वारा विहित करे, प्रवर्तनीय होगा ।

142(2): संसद् द्वारा इस निमित्त बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, उच्चतम न्यायालय को भारत के संपूर्ण राज्यक्षेत्र के बारे में किसी व्यक्ति को हाजिर कराने के, किन्हीं दस्तावेजों के प्रकटीकरण या पेश कराने के अथवा अपने किसी अवमान का अन्वेषण करने या दंड देने के प्रयोजन के लिए कोई आदेश करने की समस्त और प्रत्येक शक्ति होगी ।


  1. उच्चतम न्यायालय (डिकी और आदेश) प्रवर्तन आदेश, 1954 (सं.आ.47) देखिए ।

-संविधान के शब्द

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भारतीय संविधान अनुच्छेद 142: उच्चतम न्यायालय की डिक्रियों और आदेशों का प्रवर्तन और प्रकटीकरण आदि के बारे में आदेश

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