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अनुच्छेद 131 उच्चतम न्यायालय की आरंभिक अधिकारिता | Article 131 In Hindi

पथ प्रदर्शन: भारतीय संविधान > भाग 5 : संघ > अध्याय 4- संघ की न्यायपालिका > अनुच्छेद 131

अनुच्छेद 131: उच्चतम न्यायालय की आरंभिक अधिकारिता (Supreme Court Original Jurisdiction)

इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए,

(क) भारत सरकार और एक या अधिक राज्यों के बीच, या

(ख) एक और भारत सरकार और किसी राज्य या राज्यों और दूसरी और एक या अधिक अन्य राज्यों के बीच, या

(ग) दो या अधिक राज्यों के बीच,

किसी विवाद में, यदि और जहां तक उस विवाद में (विधि का या तथ्य का) ऐसा कोई प्रश्न अंतर्वलित है जिस पर किसी विधिक अधिकार का अस्तित्व या विस्तार निर्भर है तो और वहां तक अन्य न्यायालयों का अपवर्जन करके उच्चतम न्यायालय को आरंभिक अधिकारिता होगी :

1परन्तु उक्त अधिकारिता का विस्तार उस विवाद पर नहीं होगा जो किसी ऐसी संधि, करार, प्रसंविदा, वचनबंध, सनद या वैसी ही अन्य लिखत से उत्पन्न हुआ है जो इस संविधान के प्रारंभ से पहले की गई थी या निष्पादित की गई थी और ऐसे प्रारंभ के पश्चात प्रवर्तन में है या जो यह उपबंध करती है कि उक्त अधिकारिता का विस्तार ऐसे विवाद पर नहीं होगा ।

अनुच्छेद 131क: 2केन्द्रीय विधियों की सांविधानिक वैधता से संबंधित प्रश्नों के बारे में उच्चतम न्यायालय की अनन्य अधिकारिता । [43वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1977 की धारा 4 द्वारा (13-4-1978) से निरसित ।]


  1. 7वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 की धारा 5 द्वारा परन्तुक के स्थान पर (1-11-1956 से) प्रतिस्थापित ।
  2. 42वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 की धारा 23 द्वारा (1-2-1977 से) अंतःस्थापित ।

-संविधान के शब्द

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भारतीय संविधान अनुच्छेद 131: उच्चतम न्यायालय की आरंभिक अधिकारिता

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