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अनुच्छेद 1 संघ का नाम और राज्य क्षेत्र | Article 1 of Indian Constitution In Hindi

पथ प्रदर्शन: भारतीय संविधान > भाग 1 : संघ और उसका राज्यक्षेत्र > अनुच्छेद 1

अनुच्छेद 1 (Article 1) के बारे में विस्तृत जानकारी लेने से पहले हम भारतीय संविधान में लिखे शब्दशः अनुच्छेद को देखले।

अनुच्छेद: 1 संघ का नाम और राज्य क्षेत्र (Union and its Territory)  

1. भारत, अर्थात इंडिया, राज्यों का संघ होगा। 

2. राज्य और उनके राज्य क्षेत्र वे होंगे जो पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं। 

3. भारत के राज्यक्षेत्र में – 

(क) राज्यों के राज्यक्षेत्र  

(ब) पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट  संध राज्यक्षेत्र , और   

 (ग) ऐसे अन्य राज्यक्षेत्र जो अर्जित किये जाएं , समाविष्ट होंगे। 

-संविधान के शब्द

बंधारणीय सभा में अनुच्छेद 1 पर चर्चा 15 और 17 नवंबर 1948 ,और 17 एवं 18 सितम्बर 1949 के दिन हुई थी।  

आपको प्रश्न होगा की राज्यों का संध क्या होता है ?(लेख के अंतमे)

और 

भारत या इंडिया दो नाम क्यों ?

आपने स्वतंत्रता की लड़ाई के इतिहास में ‘हिंदुस्तान  जिंदाबाद’ के नारे पढ़े होंगे, तो देश का नाम हिन्दुस्तान क्यों नहीं रखा गया ? 

चलिए जानते है भारत, इंडिया और हिन्दुस्तान में क्या भेद है ? और क्यों भारत-इंडिया दो ही नाम पसंद किये गए ? 


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भारत अर्थात इंडिया (Article 1 India that is Bharat)

भारत का इतिहास 3000 BC से भी ज्यादा पुराना है तो नाम को समझने से पहले प्राचीनकाल में भारत को क्या नाम से जाना जाता था वह समज लेना जरुरी है।  

ईस्वीसन पूर्व 2000 के आसपास सिधु सभ्यता में आर्यो का आगमन हुआ।  वह उतर पच्छिमी शुष्क क्षेत्र से आते थे।  सिंधु और आसपास की नदी के विशाल  जल स्रोत को देखकर आर्यो ने उसे ‘सिंधु’ कहा।

सिंधु नदी के आसपास की सभ्यता ‘सिंधु सभ्यता’ के नाम से जाने जानी लगी । सिंध में रहते लोगो को ‘सिंधु’ और इस विस्तार को ‘सिन्धुस्तान’ नाम से पुरे विश्व में प्रसिद्धि मिली।  

व्यापार के चलते सिंध का माल-सामान पर्शिया-ग्रीक-रोमन से यूरोप में पहुँचता था। इन सब में सिंध के नाम से उच्चारण में भी बदलाव आते गए। 

प्राचीन पर्शियन भाषा में हर चौथा व्यंजन गायब होता था। मतलब की ‘स’ के बदले ‘ह’ बोलते थे। ‘ध’ का भारी उच्चारण न करके ‘द ‘  का उच्चारण किया जिससे पर्शिया में सिंधु —-> हिन्दू के नामसे जाना जाने लगा।  

मेसोपोटामियस भाषा में व्यंजन के बदले सिर्फ स्वर का इस्तमाल हुआ जिससे ‘हिन्दू’ का Indu हुआ और हिन्दुस्तान का ‘Industaan’  

Article 1 about How Hindu and Hindustan or India name came from Indus

उपरोक्त फोटो से आपको इंडिया नाम समझने आ चूका होगा। अब भारत के समझते है। 

ईस्वीसन की शरुआत में लिखे गए विष्णु पुराण में भारत नाम का उल्लेख किया गया है। हालांकि इससे पहले भी इस नाम का इस्तमाल होता था। भारतीय साहित्य में आपको भारत नाम का उल्लेख मिलही जायेगा। 

प्राचीनकाल से सभी भाषा के साहित्य में देश का नाम भारत ही लिखा है। हजारो वर्षो से भारत नामसे समाज का बडा हिस्सा देश को सम्बोधित करता रहा है जिस वजह से 1950 में देश का नाम भारत स्वीकार किया गया। 

हिन्दुस्तान नाम क्यों नहीं रखा (Why did not named Hindustan)

1949 में बंधारणसभा के सामने देश के तीन नाम थे 

  1. भारत 
  2. India 
  3. हिन्दुस्तान   

भारतवासी का इतिहास भारत नाम से जुड़ा था इसीलिए भारत पसंद किया। 

पिछले दो सो सालो से विश्व भारत को इंडिया के नाम से ही जानता था और वैश्विक पहचान के चलते India को स्वीकार किया। 

रही बात हिदुस्तान की तो भारत-पाकिस्तान के बटवारे से सिंधु नदी के आसपास का विस्तार पाकिस्तान में चला गया। उपर हम देख चुके है की हिन्दुस्तान नाम कैसे आया और किस क्षेत्र के लिए था।  

यही प्रमुख कारण था की बंधारणीय सभा ने इतिहास में जो नाम प्रचलित था लेकिन अब वह पाकिस्तान का भाग है तो उसे स्वीकार करना उचित न समजा। 

ओर कारणों की बात करे तो बंधारणीय सभा के किसी भी सदस्य ने हिन्दुस्तान नाम रखने की सलाह नहीं दी थी। वैसे भी हिन्दुस्तान नाम हिन्दू से जुड़ा लगता है अगर इस नाम को अपनाया जाता तो भारत की धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उड़ते। 

हिन्दुस्तान नाम से लघुमति समुदाय के मनमे हमेंशा डर बना रहता की कही हमारे धर्म को हानि न पोहचे।  

नोंध : भारत के सिर्फ दो ही नाम है। हिन्दुस्तान भारत का औपचारिक नाम नहीं है चुकी हमने हिन्दुस्तान को हिन्दू धर्म के साथ जोड़ दिया इसीलिए इसका इस्तेमाल लोगो द्वारा किया जाता है। 

अब बात करते है भारत राज्यों का संध का मतलब क्या है ?

भारत राज्यों का संघ (India Union of State)

इस मुद्दे को समझने के लिए हमे सयुंक्त राष्ट्र अमेरिका (USA) के संध का सहारा लेना पड़ेगा। 

USA मे 50 राज्यों साथ मे आकर एक संधि से पूरा देश बनाया था। जबकि भारत में आजादी के बाद राज्यों मे अपना संध नही बनाया था, केंद्र ने सभी राज्यों को समजावट या बल से भारत देश मे एकीकृत किया था।

बंधारण निर्माता जानते थे की इतने बड़े भारत देश और इतनी सारी वैविध्यता को एक साथ में रखना मुश्किल है। अगर संध राष्ट्र बनाते है तो राज्यों को ज्यादा स्वतंत्रता देनी पड़ेगी जैसे अमेरिका में है। 

स्वतंत्रता के चलते राज्य का खुदका बंधारण, ध्वज, नीति-नियम होंगे, यह सब भारत की एकता को चोट पोहचा सकते है और भविष्यमे अलग राष्ट्र की मांग उठ सकती है। 

भारत को हालही मे धार्मिक साम्प्रदायिकता के कारण पाकिस्तान नामका नया देश बनाना पड़ा था । इस वजह से बंधारण निर्माता राज्यों को अपना विकास करने एवं संस्कृति को बनाये के लिए स्वतंत्रता देना चाहते थे लेकिन इतनी भी नहीं की वह आगे चलके अलग राष्ट्र की मांग करे। 

आप आगे बंधारण में पढ़ो गए की निर्माता ने बिच का रास्ता अपना कर संघवाद को भी संभाला और केंद्र के हाथ में ज्यादा शक्ति दे कर एकीकृत धारणा भी अपनाई। 

अगर अनुच्छेद 1(Article 1) मे ‘सयुंक्त राष्ट्र संघ'(Federation of states) ऐसा नाम लिखते तो कोई भी राज्य केंद्र के विरुद्ध कोर्ट में जा कर ज्यादा स्वतंत्रता की मांग कर सकता था इसी झमेले से बचने के लिए ‘राज्यों का संघ'(Union of States) लिखा गया।


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11 Comments

    1. आप का धन्यवाद आप ने बहुत अच्छे से समझाया किया है

    1. अनुच्छे 1 को 1950 में लिखा गया था, इसीलिए उसको उसी साल और परिस्थिति में समझाना उचित होगा| उस वक्त 8 महीनो के लिए बंधारण के मौसदे को जनता के सुझाव के लिए रखा था फिर भी हिन्दुस्तान नाम को बहुमत न मिला| उस वक्त के जन समुदाय की विचारधारा कुछ और थी, जो अभी 71 सालों बाद बदली हुए व्यक्तिगत/सामूहिक विचारधारा से शायद मेल न खाती हो|

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