आईपीसी धारा 511 आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराधों के लिए दण्ड | IPC Section 511 In Hindi

पथ प्रदर्शन: भारतीय दंड संहिता > अध्याय 23: अपराधों को करने के प्रयत्नों के विषय में > आईपीसी धारा 510  

आईपीसी धारा 511: आजीवन कारावास या अन्य कारावास से दण्डनीय अपराधों को करने के प्रयत्न करने के लिए दण्ड

जो कोई इस संहिता द्वारा 1आजीवन कारावास से या कारावास से दण्डनीय अपराध करने का, या ऐसा अपराध कारित किए जाने का प्रयत्न करेगा, और ऐसे प्रयत्न में अपराध करने की दिशा में कोई कार्य करेगा, जहां कि ऐसे प्रयत्न के दण्ड के लिए कोई अभिव्यक्त उपबन्ध इस संहिता द्वारा नहीं किया गया है, वहां वह 2उस अपराध के लिए उपबन्धित किसी भांति के कारावास से उस अवधि के लिए, जो, यथास्थिति, आजीवन कारावास से आधे तक की या उस अपराध के लिए उपबन्धित दीर्घतम अवधि के आधे तक की हो सकेगी या ऐसे जुर्माने से, जो उस अपराध के लिए उपबन्धित है, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

दृष्टांत

(क) , एक सन्दूक तोड़कर खोलता है और उसमें से कुछ आभूषण चुराने का प्रयत्न करता है। सन्दुक इस प्रकार खोलने के पश्चात् उसे ज्ञात होता है कि उसमें कोई आभूषण नहीं है। उसने चोरी करने की दिशा में कार्य किया है, और इसलिए, वह इस धारा के अधीन दोषी है।

(ख) , की जेब में हाथ डालकर की जेब से चुराने का प्रयत्न करता है की जेब में कुछ न होने के परिणामस्वरूप के अपने प्रयत्न में असफल रहता है। इस धारा के अधीन दोषी है।

संशोधन

  1. 1955 के अधिनियम सं० 26 की धारा 117 और अनुसूची द्वारा “आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित
  2. 1955 के अधिनियम सं० 26 की धारा 117 और अनुसूची द्वारा कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

-भारतीय दंड संहिता के शब्द

अपराधआजीवन कारावास या कारावास के साथ दंडनीय अपराधों को अंजाम देने का प्रयास करना और ऐसे प्रयास में अपराध आयोग की दिशा में कोई कृत्य करना
सजाआजीवन या कारावास से अधिक नहीं, अपराध के लिए प्रदान की गई सबसे लंबी अवधि का आधा, या जुर्माना, या दोनों
संज्ञेयकिये गए अपराध के समान
जमानतकिये गए अपराध के समान
विचारणीयवह न्यायालय जिसके द्वारा प्रयतित अपराध विचारणीय
समझौतानही किया जा सकता

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