आईपीसी धारा 508 दैवी अप्रसाद का भाजन होगा का गलत विश्वास | IPC Section 508 In Hindi
पथ प्रदर्शन: भारतीय दंड संहिता > अध्याय 22: आपराधिक अभित्रास, अपमान और क्षोभ के विषय में > आईपीसी धारा 508
आईपीसी धारा 508: व्यक्ति को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित करके कि वह दैवी अप्रसाद का भाजन होगा कराया गया कार्य
जो कोई किसी व्यक्ति को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित करके, या उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करके, कि यदि वह उस बात को न करेगा, जिसे उससे कराना अपराधी का उद्देश्य हो, या यदि वह उस बात को करेगा जिसका उससे लोप कराना अपराधी का उद्देश्य हो, तो वह या कोई व्यक्ति, जिससे वह हितबद्ध है, अपराधी के किसी कार्य से दैवी अप्रसाद का भाजन हो जाएगा, या बना दिया जाएगा, स्वेच्छ्या उस व्यक्ति से कोई ऐसी बात करवाएगा या करवाने का प्रयत्न करेगा, जिसे करने के लिए वह वैध रूप से आबद्ध न हो, या किसी ऐसी बात के करने का लोप करवाएगा या करवाने का प्रयत्न करेगा, जिसे करने के लिए वह वैध रूप से हकदार हो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
दृष्टांत
(क) क, यह विश्वास कराने के आशय से य के द्वार पर धरना देता है कि इस प्रकार धरना देने से वह य को दैवी अप्रसाद का भाजन बना रहा है। क ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।
(ख) क, य को धमकी देता है कि यदि य अमुक कार्य नहीं करेगा, तो क अपने बच्चों में से किसी एक का बध ऐसी परिस्थितियों में कर डालेगा जिससे ऐसे वध करने के परिणामस्वरूप यह विश्वास किया जाए, कि य दैवी अप्रसाद का भाजन बना दिया गया है। क ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।
-भारतीय दण्ड संहिता के शब्द
अपराध | व्यक्ति को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित करके कि वह दैवी अप्रसाद का भाजन होगा, कराया गया कार्य। |
सजा | एक वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना या दोनो। |
संज्ञेय | गैर-संज्ञेय (गिरफ्तारी के लिए वॉरेंट आवश्यक) |
जमानत | जमानतीय |
विचारणीय | सभी मजिस्ट्रेट के लिए |