आईपीसी धारा 489क करेन्सी नोटों या बैंक नोटों का कूटकरण | IPC Section 489A In Hindi
पथ प्रदर्शन: भारतीय दंड संहिता > अध्याय 18: दस्तावेजों और संपत्ति चिह्नों संबंधी अपराधों के विषय में > 1करेंसी नोटों और बैंक नोटों के विषय में> आईपीसी धारा 489क
आईपीसी धारा 489क: करेन्सी नोटों या बैंक नोटों का कूटकरण
जो कोई किसी करेन्सी नोट या बैंक नोट का कूटकरण करेगा, या जानते हुए करेन्सी नोट या बैंक नोट के कूटकरण की प्रक्रिया के किसी भाग को सम्पादित करेगा, वह 2आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण:- इस धारा के और धारा 489ख, 3489ग, 489घ और 489ङ के प्रयोजनों के लिए “बैंक नोट” पद से उसके वाहक को मांग पर धन देने के लिए ऐसा वचनपत्र या वचनबंध अभिप्रेत है, जो संसार के किसी भी भाग में बैंककारी करने वाले किसी व्यक्ति द्वारा प्रचालित किया गया हो, या किसी राज्य या संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न शक्ति द्वारा या उसके प्राधिकार के अधीन प्रचालित किया गया हो, और जो धन के समतुल्य या स्थानापन्न के रूप में उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित हो।
संशोधन
- 1899 के अधिनियम सं० 12 की धारा 2 द्वारा जोड़ा गया।
- 1955 के अधिनियम सं० 26 की धारा 117 और अनुसूची द्वारा “आजीवन निर्वासन” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
- 1950 के अधिनियम सं० 35 की धारा 3 और अनुसूची 2 द्वारा “489ग और 489घ” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
-भारतीय दंड संहिता के शब्द
अपराध | करेंसी नोटों या बैंक नोटों का कूटकरण |
सजा | आजीवन कारावास या दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना। |
संज्ञेय | संज्ञेय (गिरफ्तारी के लिए वॉरेंट आवश्यक नही) |
जमानत | गैर-जमानतीय |
विचारणीय | सेशन न्यायालय द्वारा |
समझौता | नही किया जा सकता |