आईपीसी धारा 486 कूटकृत सम्पत्ति-चिह्न से चिह्नित माल का विक्रय | IPC Section 486 In Hindi

पथ प्रदर्शन: भारतीय दंड संहिता > अध्याय 18: दस्तावेजों और संपत्ति चिह्नों संबंधी अपराधों के विषय में > संपत्ति चिह्नों और अन्य चिह्नों के विषय में > आईपीसी धारा 486

आईपीसी धारा 486: कूटकृत सम्पत्ति-चिह्न से चिह्नित माल का विक्रय

1जो कोई किसी माल या चीजों को, स्वयं उन पर या किसी ऐसी पेटी, पैकेज या अन्य पात्र पर, जिसमें ऐसा माल रखा हो, कोई कूटकृत सम्पत्ति-चिह्न लगा हुआ या छपा हुआ होते हुए, बेचेगा या बेचने के लिए अभिदर्शित करेगा या अपने कब्जे में रखेगा, जब तक कि वह यह साबित न कर दे कि-

(क) इस धारा के विरुद्ध अपराध न करने की सब युक्तियुक्त पूर्वावधानी बरतते हुए, चिह्न के असलीपन के सम्बन्ध में संदेह करने के लिए उसके पास कोई कारण अधिकथित अपराध करते समय नहीं था, तथा

(ख) अभियोजक द्वारा या उसकी ओर से मांग किए जाने पर, उसने उन व्यक्तियों के विषय में, जिनसे उसने ऐसा माल या चीजें अभिप्राप्त की थीं, वह सब जानकारी दे दी थी, जो उसकी शक्ति में थी, अथवा

(ग) अन्यथा उसने निर्दोषितापूर्वक कार्य किया था,

वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

संशोधन

  1. 1958 के अधिनियम सं० 43 की धारा 135 और अनुसूची द्वारा कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित। 

-भारतीय दंड संहिता के शब्द

अपराधकूटकृत सम्पत्ति चिह्न से चिह्नित माल का जानते हुए विक्रय।
सजा1 वर्ष या जुर्माना या दोनों
संज्ञेयगैर – संज्ञेय
जमानतजमानतीय
विचारणीयसभी मजिस्ट्रेट के लिए
समझौतानही किया जा सकता

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