आईपीसी धारा 474 कूटरचित दस्तावेज को उपयोग में लाना | IPC Section 474 In Hindi

पथ प्रदर्शन: भारतीय दंड संहिता > अध्याय 18: दस्तावेजों और संपत्ति > चिह्नों संबंधी अपराधों के विषय में > आईपीसी धारा 474

आईपीसी धारा 474: धारा 466 या 467 में वर्णित दस्तावेज को, उसे कूटरचित जानते हुए और उसे असली के रूप में उपयोग में लाने का आशय रखते हुए, कब्जे में रखना

 1जो कोई, किसी दस्तावेज या किसी इलैक्ट्रानिक अभिलेख को उसे कूटरचित जानते हुए और यह आशय रखते हुए कि वह कपटपूर्वक या बेईमानी से असली रूप में उपयोग में लाया जाएगा, अपने कब्जे में रखेगा, यदि वह दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख इस संहिता की धारा 466 में वर्णित भांति का हो] तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा, तथा यदि वह दस्तावेज धारा 467 में वर्णित भांति की हो तो वह 2आजीवन कारावास से, या कोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

संशोधन

  1. 2000 के अधिनियम सं० 21 की धारा 91 और पहली अनुसूची द्वारा कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित। 
  2. 1955 के अधिनियम सं० 26 की धारा 117 और अनुसूची द्वारा “आजीवन निर्वासन” के स्थान पर प्रतिस्थापित।

-भारतीय दंड संहिता के शब्द

अपराधकिसी दस्तावेज को, उसे कूटरचित जानते हुए इस आशय से कि उसे असली के रूप में उपयोग में लाया जाए अपने कब्जे में रखना, यदि वह दस्तावेज भारतीय दण्ड संहिता की धारा 466 में वर्णित भांति की हो
सजासात वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना
संज्ञेयगैर- संज्ञेय (गिरफ्तारी के लिए वॉरेंट आवश्यक)
जमानतजमानतीय
विचारणीयप्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के लिए
समझौताकिया जा सकता

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