आईपीसी धारा 466 न्यायालय के अभिलेख की कूटरचना | IPC Section 466 In Hindi

पथ प्रदर्शन: भारतीय दंड संहिता > अध्याय 18: दस्तावेजों और संपत्ति चिह्नों संबंधी अपराधों के विषय में > आईपीसी धारा 466

आईपीसी धारा 466: न्यायालय के अभिलेख की या लोक रजिस्टर आदि की कूटरचना

1जो कोई ऐसे दस्तावेज की या ऐसे इलेक्ट्रानिक अभिलेख की जिसका कि किसी न्यायालय का या न्यायालय में अभिलेख या कार्यवाही होना, या जन्म, बपतिस्मा, विवाह या अन्त्येष्टि का रजिस्टर, या लोक सेवक द्वारा लोक सेवक के नाते रखा गया रजिस्टर होना तात्पर्यित हो, अथवा किसी प्रमाणपत्र की या ऐसी दस्तावेज की जिसके बारे में यह तात्पर्यित हो कि वह किसी लोक सेवक द्वारा उसकी पदीय हैसियत में रची गई है, या जो किसी बाद को संस्थित करने या बाद में प्रतिरक्षा करने का, उसमें कोई कार्यवाही करने का, या दावा संस्वीकृत कर लेने का, प्राधिकार हो या कोई मुख्तारनामा हो, फूटरचना करेगा, यह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

2स्पष्टीकरण:- इस धारा के प्रयोजनों के लिए, “रजिस्टर” के अंतर्गत सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000, (2000 का 21) की धारा 2 की उपधारा (1) के खंड (द) में परिभाषित इलैक्ट्रानिक रूप में रखी गई कोई सूची, डाटा या किसी प्रविष्टि का अभिलेख भी है।

संशोधन

  1. 2000 के अधिनियम सं० 21 की धारा 91 और पहली अनुसूची द्वारा कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित। 
  2. 2000 के अधिनियम सं० 21 की धारा 91 और पहली अनुसूची द्वारा अंतःस्थापित। 

-भारतीय दंड संहिता के शब्द

अपराधएक लोक सेवक द्वारा रखे गए न्याय न्यायालय या जन्म पंजीयक आदि के रिकॉर्ड का जालसाजी
सजा7 साल + जुर्माना
संज्ञेयगैर – संज्ञेय
जमानतगैर जमानतीय
विचारणीयप्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट
समझौतानही किया जा सकता

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