आईपीसी धारा 415 छल की परिभाषा | IPC Section 415 In Hindi

पथ प्रदर्शन: भारतीय दंड संहिता > अध्याय 17: सम्पत्ति के विरुद्ध अपराधों के विषय में > छल के विषय में > आईपीसी धारा 415

आईपीसी धारा 415: छल

जो कोई किसी व्यक्ति से प्रवंचना कर उस व्यक्ति को, जिसे इस प्रकार प्रवंचित किया गया है, कपटपूर्वक या बेईमानी से उत्प्रेरित करता है कि वह कोई संपत्ति किसी व्यक्ति को परिदत्त कर दे, या यह सम्मति दे दे कि कोई व्यक्ति किसी संपत्ति को रख रखे या साशय उस व्यक्ति को, जिसे इस प्रकार प्रबंचित किया गया है, उत्प्रेरित करता है कि वह ऐसा कोई कार्य करे, या करने का लोप करे, जिसे वह यदि उसे हर प्रकार प्रवंचित न किया गया होता तो, न करता, या करने का लोप न करता, और जिस कार्य या लोप से उस व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, ख्याति संबंधी या साम्पत्तिक नुकसान या अपहानि कारित होती है, या कारित होनी सम्भाव्य है, वह “चल”” करता है, यह कहा जाता है।

स्पष्टीकरण– तथ्यों का बेईमानी से छिपाना इस धारा के अर्थ के अंतर्गत प्रवंचना है।

दृष्टांत

(क) सिविल सेवा में होने का मिथ्या अपदेश करके साशय से प्रवंचना करता है, और इस प्रकार बेईमानी से को उत्प्रेरित करता है कि वह उसे उधार पर माल ले लेने दे, जिसका मूल्य चुकाने का उसका इरादा नहीं है। छल करता है।

(ख) एक वस्तु पर कूटकृत चिह्न बनाकर से साशय प्रवंचना करके उसे यह विश्वास कराता है कि वह वस्तु किसी प्रसिद्ध विनिर्माता द्वारा बनाई गई है, और इस प्रकार उस वस्तु का क्रय करने और उसका मूल्य चुकाने के लिए को बेईमानी से उत्प्रेरित करता है। क छल करता है।

(ग) , को किसी वस्तु का नकली सैम्पल दिखलाकर य से साशय प्रवंचना करके उसे यह विश्वास कराता है कि वह वस्तु उस सैम्पल के अनुरूप है, और तद्द्द्वारा उस वस्तु को खरीदने और उसका मूल्य चुकाने के लिए य को बेईमानी से उत्प्रेरित करता है। क छल करता है।

(घ) क किसी वस्तु का मूल्य देने में ऐसी कोठी पर हुंडी करके, जहां क का कोई धन जमा नहीं है, और जिसके द्वारा क को हुंडी का अनादर किए जाने की प्रत्याशा है, आशय से य की प्रवंचना करता है, और तद्द्वारा बेईमानी से य को उत्प्रेरित करता है कि वह वस्तु परिदत्त कर दे जिसका मूल्य चुकाने का उसका आशय नहीं है। क छल करता है।

(ङ) क ऐसे नगों को, जिनको वह जानता है कि वे हीरे नहीं हैं, हीरों के रूप में गिरवी रखकर य से साशय प्रवंचना करता है, और तद्द्वारा धन उधार देने के लिए य को बेईमानी से उत्प्रेरित करता है। क छल करता है।

(च) के साशय प्रवंचना करके य को यह विश्वास कराता है कि क को जो धन य उधार देगा उसे वह चुका देगा, और तवास बेईमानी से य को उत्प्रेरित करता है कि वह उसे धन उधार दे दे, जबकि क का आशय उस धन को चुकाने का नहीं है। क छल करता है।

(छ) क, य से साशय प्रवंचना करके यह विश्वास दिलाता है कि क का इरादा य को नील के पौधों का एक निश्चित परिमाण परिदत करने का है, जिसको परिदत करने का उसका आशय नहीं है, और तद्द्द्वारा ऐसे परिदान के विश्वास पर अग्रिम धन देने के लिए य को बेईमानी से उत्प्रेरित करता है। क छल करता है। यदि क धन अभिप्राप्त करते समय नील परिदत्त करने का आशय रखता हो, और उसके पश्चात् अपनी संविदा भंग कर दे और वह उसे परिदत्त न करे, तो वह छल नहीं करता है, किंतु संविदा भंग करने के लिए केवल सिविल कार्यवाही के दायित्व के अधीन है।

(ज) क साशय प्रवंचना करके य को यह विश्वास दिलाता है कि क ने य के साथ की गई संविदा के अपने भाग का पालन कर दिया है, जब कि उसका पालन उसने नहीं किया है, और तद्द्द्वारा य को बेईमानी से उत्प्रेरित करता है कि वह धन दे। क छल करता है।

(झ) क, ख को एक संपदा बेचता है और हस्तांतरित करता है। क यह जानते हुए कि ऐसे विक्रय के परिणामस्वरूप उस संपत्ति पर उसका कोई अधिकार नहीं है, ख को किए गए पूर्व विक्रय और हस्तांतरण के तथ्य को प्रकट न करते हुए उसे य के हाथ बेच देता है या बंधक रख देता है, और य से विक्रय या बंधक धन प्राप्त कर लेता है। क छल करता है।

-भारतीय दंड संहिता के शब्द

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