आईपीसी धारा 377 प्रकृति विरुद्ध अपराध | IPC Section 377 In Hindi
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आईपीसी धारा 377: प्रकृति विरुद्ध अपराध
जो कोई किसी पुरुष, स्त्री या जीवजन्तु के साथ प्रकृति की व्यवस्था के विरुद्ध स्वेच्छया इन्द्रियोग करेगा वह 1आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण– इस धारा में वर्णित अपराध के लिए आवश्यक इन्द्रियभोग गठित करने के लिए प्रवेशन पर्याप्त है।
संशोधन
- 1955 के अधिनियम सं० 26 की धारा 117 और अनुसूची द्वारा “आजीवन निर्वाचन” स्थान पर प्रतिस्थापित।
-भारतीय दंड संहिता के शब्द
अपराध | अप्राकृतिक अपराध |
सजा | आजीवन कारावास या 10 साल + जुर्माना |
संज्ञेय | संज्ञेय |
जमानत | गैर जमानतीय |
विचारणीय | प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट |
समझौता | नही किया जा सकता |
