आईपीसी धारा 375 बलात्कार की कानूनी परिभाषा | IPC Section 375 In Hindi
पथ प्रदर्शन: भारतीय दंड संहिता > अध्याय 16: मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के विषय में > व्यपहरण, अपहरण, दासत्व और बलात्श्रम के विषय में > आईपीसी धारा 375
आईपीसी धारा 375: 1बलात्संग
(क) किसी स्त्री की योनि, उसके मुंह, मूत्रमार्ग या गुदा में अपना लिंग किसी भी सीमा तक प्रवेश करता है या उससे ऐसा में अपने या किसी अन्य व्यक्ति के साथ कराता है; या
(ख) किसी स्त्री की योनि, मूत्रमार्ग या गुदा में ऐसी कोई वस्तु या शरीर का कोई भाग, जो लिंग न हो, किसी भी सीमा तक अनुप्रविष्ट करता है या उससे ऐसा अपने या किसी अन्य व्यक्ति के साथ कराता है; या
(ग) किसी स्त्री के शरीर के किसी भाग का इस प्रकार हस्तसाधन करता है जिससे कि उस स्त्री की योनि, गुदा, मूत्रमार्ग या शरीर के किसी भाग में प्रवेशन कारित किया जा सके या उससे ऐसा अपने या किसी अन्य व्यक्ति के साथ कराता है. या
(घ) किसी स्त्री की योनि, मूत्रमार्ग, गुदा पर अपना मुंह लगाता है या उससे ऐसा अपने या किसी अन्य व्यक्ति के साथ कराता है,
तो उसके बारे में यह कहा जाएगा कि उसने बलात्संग किया है, जहां ऐसा निम्नलिखित सात भांति की परिस्थितियों में से किसी के अधीन किया जाता है:-
पहला—उस स्त्री की इच्छा के विरुद्ध ।
दूसरा —उस स्त्री की सम्मति के बिना।
तीसरा—उस स्त्री की सम्मति से, जब उसकी सम्मति उसे या ऐसे किसी व्यक्ति को, जिससे वह हितबद्ध है, मृत्यु या उपहति के भय में डालकर अभिप्राप्त की गई है।
चौथा—उस स्त्री की सम्मति से, जब कि वह पुरुष यह जानता है कि वह उस स्त्री का पति नहीं है और उस स्त्री ने सम्मति इस कारण दी है कि वह यह विश्वास करती है कि वह ऐसा अन्य पुरुष है जिससे वह विधिपूर्वक विवाहित है या विवाहित होने का विश्वास करती है।
पांचवां – उस स्त्री की सम्मति से, जब ऐसी सम्मति देने के समय, वह विकृतचित्तता या मत्तता के कारण या उस पुरुष द्वारा व्यक्तिगत रूप से या किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से कोई संज्ञाशून्यकारी या अस्वास्थ्यकर पदार्थ दिए जाने के कारण, उस बात की, जिसके बारे में वह सम्मति देती है, प्रकृति और परिणामों को समझने में असमर्थ है।
छठवां – उस स्त्री की सम्मति से या उसके बिना, जब वह अठारह वर्ष से कम आयु की है।
सातवां– जब वह स्त्री सम्मति संसूचित करने में असमर्थ है।
स्पष्टीकरण 1 – इस धारा के प्रयोजनों के लिए, “योनि” के अंतर्गत वृहत्त भगौष्ठ भी है।
स्पष्टीकरण 2– सम्मति से कोई स्पष्ट स्वैच्छिक सहमति अभिप्रेत है, जब स्त्री शब्दों, संकेतों या किसी प्रकार की मौखिक या अमौखिक संसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट लैंगिक कृत्य में भाग लेने की इच्छा व्यक्त करती है :
परंतु ऐसी स्त्री के बारे में, जो प्रवेशन के कृत्य का भौतिक रूप से विरोध नहीं करती है, मात्र इस तथ्य के कारण यह नहीं समझा जाएगा कि उसने लैंगिक क्रियाकलाप के प्रति सम्मति प्रदान की है।
अपवाद 1– किसी चिकित्सीय प्रक्रिया या अंतःप्रवेशन से बलात्संग गठित नहीं होगा।
अपवाद 2– किसी पुरुष की अपनी स्वयं की पत्नी के साथ मैथुन या लैंगिक कृत्य, यदि पत्नी पंद्रह वर्ष से कम आयु की न हो, बलात्संग नहीं है।
संशोधन
- 2013 के अधिनियम सं० 13 की धारा 9 द्वारा प्रतिस्थापित ।
-भारतीय दंड संहिता के शब्द