आईपीसी धारा 370 व्यक्ति का दुर्व्यापार | IPC Section 370 In Hindi
पथ प्रदर्शन: भारतीय दंड संहिता > अध्याय 16: मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के विषय में > व्यपहरण, अपहरण, दासत्व और बलात्श्रम के विषय में > आईपीसी धारा 370
आईपीसी धारा 370: 1व्यक्ति का दुर्व्यापार
(1) जो कोई शोषण के प्रयोजन के लिए, —
पहला– धमकियों का प्रयोग करके; या
दूसरा– बल या किसी भी अन्य प्रकार के प्रपीडन का प्रयोग करके; या
तीसरा- अपहरण द्वारा; या
चौथा – कपट का प्रयोग करके या प्रवंचना द्वारा; या
पांचवां– शक्ति का दुरुपयोग करके; या
छठवाँ -उत्प्रेरणा द्वारा, जिसके अंतर्गत ऐसे किसी व्यक्ति की, जो भर्ती किए गए, परिवहनित संश्रित, स्थानांतरित या गृहीत व्यक्ति पर नियंत्रण रखता है, सम्मति प्राप्त करने के लिए भुगतान या फायदे देना या प्राप्त करना भी आता है,
किसी व्यक्ति या किन्ही व्यक्तियों को (क) भर्ती करता है, (ख) परिवहनित करता है, (ग) संश्रय देता है, (घ) स्थानांतरित करता है, या (ड) गृहीत करता है, वह दुर्व्यापार का अपराध करता है।
स्पष्टीकरण 1:- “शोषण” पद के अंतर्गत शारीरिक शोषण का कोई कृत्य या किसी प्रकार का लैंगिक शोषण, दासता या दासता अधिसेविता के समान व्यवहार या अंगों का बजात अपसारण भी है।
स्पष्टीकरण 2:- दुर्व्यापार के अपराध के अवधारण में पीड़ित की सम्मति महत्वहीन है।
(2) जो कोई दुर्व्यापार का अपराध करेगा वह कठोर कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष से कम की नहीं होगी किंतु जो दस वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
(3) जहां अपराध में एक से अधिक व्यक्तियों का दुर्व्यापार अंतर्वलित है, वहां वह कठोर कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी किंतु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दंडित होगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
(4) जहां अपराध में किसी अवयस्क का दुर्व्यापार अंतर्वलित है, वहां वह कठोर कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी किंतु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, होगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
(5) जहां अपराध में एक से अधिक अवयस्कों का दुर्व्यापार अंतर्वलित है, वहां वह कठोर कारावास से, जिसकी अवधि चौदह वर्ष से कम की नहीं होगी किंतु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दंडनीय होगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
(6) यदि किसी व्यक्ति को अवयस्क का एक से अधिक अवसरों पर दुर्व्यापार किए जाने के अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराया जाता है तो ऐसा व्यक्ति आजीवन कारावास से, जिससे उस व्यक्ति के प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
(7) जहा कोई लोक सेवक या कोई पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति के दुर्व्यापार में अंतर्वलित है, वहां ऐसा लोक सेवक या पुलिस अधिकारी आजीवन कारावास से, जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
संशोधन
- 2013 के अधिनियम सं० 13 की धारा 8 द्वारा प्रतिस्थापित।
-भारतीय दंड संहिता के शब्द
अपराध | व्यक्ति की तस्करी | एक से अधिक व्यक्ति की तस्करी |
सजा | 7 से 10 साल + जुर्माना | जीवन के लिए 10 साल + जुर्माना |
संज्ञेय | संज्ञेय (गिरफ्तारी के लिए वॉरेंट आवश्यक नही) | संज्ञेय (गिरफ्तारी के लिए वॉरेंट आवश्यक नही) |
जमानत | गैर जमानती | गैर जमानती |
विचारणीय | सत्र की अदालत | सत्र की अदालत |
समझौता | नही किया जा सकता | नही किया जा सकता |
अपराध | नाबालिग की तस्करी नाबालिग की तस्करी | एक से अधिक नाबालिगों की तस्करी |
सजा | जीवन के लिए 10 साल + जुर्माना | जीवन के लिए 14 साल + जुर्माना |
अपराध | एक से अधिक अवसरों पर नाबालिग की तस्करी के अपराध के दोषी व्यक्ति | लोक सेवक या नाबालिग की तस्करी में शामिल एक पुलिस अधिकारी |
सजा | प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास + जुर्माना | प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास + जुर्माना |