आईपीसी धारा 345 रिट निकल चुके व्यक्ति का सदोष परिरोध | IPC Section 345 In Hindi
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आईपीसी धारा 345: ऐसे व्यक्ति का सदोष परिरोध जिसके छोड़ने के लिए रिट निकल चुका है
जो कोई यह जानते हुए किसी व्यक्ति को सदोष परिरोध में रखेगा कि उस व्यक्ति को छोड़ने के लिए रिट सम्यक् रूप से निकल चुका है। वह किसी अवधि के उस कारावास के अतिरिक्त, जिससे कि वह इस अध्याय की किसी अन्य धारा के अधीन दण्डनीय हो, दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा ।
-भारतीय दण्ड संहिता के शब्द
अपराध | किसी भी व्यक्ति को गलत तरीके से कारावास में रखते हुए, यह जानते हुए कि उसकी मुक्ति के लिए एक रिट जारी की गई है |
सजा | किसी अन्य धारा के तहत कारावास के अलावा 2 साल |
संज्ञेय | संज्ञेय (गिरफ्तारी के लिए वॉरेंट आवश्यक नही) |
जमानत | जमानतीय |
विचारणीय | प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट के लिए |

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