आईपीसी धारा 332 लोक सेवक अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करना | IPC Section 332 In Hindi
पथ प्रदर्शन: भारतीय दंड संहिता > अध्याय 16: मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के विषय में > उपहति के विषय में > आईपीसी धारा 332
आईपीसी धारा 332: लोक सेवक अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करना
जो कोई किसी ऐसे व्यक्ति को, जो लोक सेवक हो, उस समय जब वह वैसे लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहा हो अथवा इस आशय से कि उस व्यक्ति को या किसी अन्य लोक सेवक को, वैसे लोक सेवक के नाते उसके अपने कर्तव्य के निर्वहन से निवारित या भयोपरत करे, अथवा वैसे लोक सेवक के नाते उस व्यक्ति द्वारा अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में की गई या किए जाने के लिए प्रयतित किसी बात के परिणामस्वरूप स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
-भारतीय दंड संहिता के शब्द
अपराध | स्वेच्छा से अपने कर्तव्य से लोक सेवक को रोकते चोट के कारण |
सजा | 3 साल या जुर्माना या दोनों |
संज्ञेय | संज्ञेय (गिरफ्तारी के लिए वॉरेंट आवश्यक नही) |
जमानत | गैर जमानतीय |
विचारणीय | प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के लिए |
समझौता | नही किया जा सकता |