आईपीसी धारा 330 विवश करके संपत्ति का प्रत्यावर्तन कराना | IPC Section 330 In Hindi

पथ प्रदर्शन: भारतीय दंड संहिता > अध्याय 16: मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के विषय में > उपहति के विषय में > आईपीसी धारा 330

आईपीसी धारा 330: संस्वीकृति उद्यापित करने या विवश करके संपत्ति का प्रत्यावर्तन कराने के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करना

जो कोई इस प्रयोजन से स्वेच्छया उपहति कारित करेगा कि उपहत व्यक्ति से या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति से कोई संस्वीकृति या कोई जानकारी, जिससे किसी अपराध अथवा अवचार का पता चल सके, उद्दापित की जाए अथवा उपहत व्यक्ति या उससे हितबद्ध व्यक्ति को मजबूर किया जाए कि वह कोई सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति प्रत्यावर्तित करे या करवाए, या किसी दावे या मांग की पुष्टि, या ऐसी जानकारी दे, जिससे किसी सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति का प्रत्यावर्तन कराया जा सके, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।

द्रष्टांत

(क) , एक पुलिस आफिसर , को यह संस्वीकृति करने को कि उसने अपराध किया है उत्प्रेरित करने के लिए यातना देता है । इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है ।

(ख) , एक पुलिस आफिसर, यह बतलाने को कि अमुक चुराई हुई सम्पत्ति कहां रखी है उत्प्रेरित करने के लिए को यातना देता है । इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है।

(ग) , एक राजस्व आफिसर राजस्व की वह बकाया, जो द्वारा शोध्य है, देने को को विवश करने के लिए उसे यातना देता है । इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है।

(घ) ,एक जमींदार, भाटक देने को विवश करने के लिए अपनी एक रैयत को यातना देता है । इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है ।

-भारतीय दंड संहिता के शब्द

अपराधस्वेच्छा से स्वीकारोक्ति या संपत्ति की जानकारी आदि ऐंठने के लिए चोट पहुंचाई गई
सजा7 साल + जुर्माना
संज्ञेयसंज्ञेय (गिरफ्तारी के लिए वॉरेंट आवश्यक नही)
जमानतजमानतीय
विचारणीयप्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के लिए
समझौतानही किया जा सकता

Similar Posts

One Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *