आईपीसी धारा 325 स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाने का दंड | IPC Section 325 In Hindi
पथ प्रदर्शन: भारतीय दंड संहिता > अध्याय 16: मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के विषय में > उपहति के विषय में > आईपीसी धारा 325
आईपीसी धारा 325: स्वेच्छया घोर उपहति कारित करने के लिए दण्ड
उस दशा के सिवाय, जिसके लिए धारा 335 में उपबंध है, जो कोई स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
-भारतीय दंड संहिता के शब्द
आईपीसी धारा 324 पढ़ते वक्त आपको प्रश्न हुआ होगा की पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु तो नही हुई है लेकिन बहुत गंभीर रूप से घायल हुआ या कोई ऐसी चोट है तो आजीवन ठीक नही होगी।
तो क्या एसे गंभीर मामलो में भी सजा तीन साल की ही होगी ?
इसीके लिए धारा 325 में गंभीर चोट के लिए दंड प्रावधान किया है।
गंभीर चोट मे आप कोमा मे चले जाना, अंग भंग हो जाना, आपाहिज या अंधा हो जाना, जैसी चोट का समावेश कर सकतों हो।
हालांकि चोट की गंभीरता न्यायालय केस सुनकर तय करती है।
दोनों पक्ष की इच्छा होने पर भी समझौता नही किया जा सकता। ऐसे मामलों मे समझौता करने के लिया न्यायलय की अनुमति लेनी पड़ती है।
अपराध | स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाई |
सजा | 7 साल + जुर्माना |
संज्ञेय | संज्ञेय (गिरफ्तारी के लिए वॉरेंट आवश्यक नही) |
जमानत | जमानतीय |
विचारणीय | सभी मजिस्ट्रेट के लिए |
समझौता | नही किया जा सकता है |
और पढ़े:-
