अनुच्छेद 18 उपाधियों का अंत । Article 18 of Indian Constitution In Hindi
उपाधियां रुतबा, शक्ति, उच्चता दर्शाती है सभी को समानता प्रदान करने के लिए इसका अंत आवश्यक है। जिसके लिए भाग 3 के अनुच्छेद 18 मे उपाधियों का अंत करने का प्रावधान करके समता के अधिकार को और प्रभावी बनाया है।
अस्पृश्यता को तो अनुच्छेद 17 से निषेध किया गया लेकिन भेदभाव का एक और स्वरूप जो उपाधियाँ थी उसके लिए अलग से प्रावधान किया गया।
अनुच्छेद 18: उपाधियों का अंत
(1) राज्य, सेना या विद्या संबंधी सम्मान के सिवाय और कोई उपाधि प्रदान नहीं करेगा।
(2) भारत का कोई नागरिक किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि स्वीकार नहीं करेगा ।
(3) कोई व्यक्ति, जो भारत का नागरिक नहीं है, राज्य के अधीन लाभ या विश्वास के किसी पद को धारण करते हुए किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि राष्ट्रपति की सहमति के बिना स्वीकार नहीं करेगा।
(4) राज्य के अधीन लाभ या विश्वास का पद धारण करने वाला कोई व्यक्ति किसी विदेशी राज्य से या उसके अधीन किसी रूप में कोई भेंट, उपलब्धि या पद राष्ट्रपति की सहमति के बिना स्वीकार नहीं करेगा।
-संविधान के शब्द
अनुच्छेद 18 का स्पष्टीकरण(Explanation)
उपाधि किसी नाम के साथ जुड़ी हुई संज्ञा होती है। जो नाम को विशेषता प्रदान करके उसका महत्व बढ़ा देती है।
उपाधिया प्राचीन काल से चली आ रही है बाद में ब्रिटिश सरकार ने भी अपने तरह की उपाधियाँ चलाई। कुछ उपाधिया देखे तो- राजा, महाराजा, महारानी, सुल्तान, राइ बहादुर, राज बहादुर, राइ साहब और अग्रेजों का नाइट खिताब आदि।
यह उपाधियाँ तानाशाही, गुलामी, उच-नीच के भेदभाव को दर्शाती है। आज़ादी के बाद देश लोकतन्त्र बना जिसमे सभी को समान माना गया।
देश मे समानता लाने के लिए ऐसी उपाधियों को हटाना जरूरी था इसीलिए अनुच्छेद 18 का समावेश किया गया।
लेकिन अनुच्छेद 18 मे राज्य, सेना और विद्या के विषयो मे उपाधि लेने की छूट दी गई है।
‘राज्य’ के अंतर्गत भारत सरकार विशेष कार्यो के लिए पद्म श्री, पद्म भूषण, भारत रत्न जेसे अवार्ड और उपाधि से सम्मानित करता है।
‘सेना’ के अंतर्गत देश की सेना में जनरल, कमांडर, चीफ मार्शल आदि होद्दे और उपाधि से नवाजा जाता है।
‘विद्या’ के अंतर्गत- यही ध्यान दे की विद्या का मतलब सर्फ शिक्षण नही है इसका मतलब ‘कौशल’(Skill) से है। इनमे डोकटरेट उपाधि आदि समावेश होती है।
विदेशी नागरिक जो सरकार के अंदर या साथ कम कर रहे है उनको विदेश की उपाधि लेने से पहले राष्ट्रपति की सहमति लेनी पड़ेगी।
खंड(4) उपाधि के साथ पद, भेट और उपलब्धियों को भी स्वीकार ने से पहले राष्ट्रपति की सहमति लेनी होगी।
जैसे नोबल प्राइज़, फिल्म के लिए ऑस्कर लेने जाना हो तो राष्ट्रपति पत्र लिख कर उसके बारे मे बता देना होता है।
नोंध: ध्यान दे की संविधान के अनुच्छेद मे ‘सहमति’ शब्द लिखा है नही की ‘अनुमति’ इन दोनों मे फर्क है।
‘सहमति‘ का मतलब है अगर कोई विदेशी उपाधि लेने जाता है तो वह पत्र लिखकर राष्ट्रपति को बता दे, ज़्यादातर उसको सहमति मिल ही जाती है। अगर ‘अनुमति’ शब्द लिखा होता तो यह प्रक्रिया कढ़ींन हो जाती जिसमे व्यक्ति को पहले से ही राष्ट्रपति से अनुमति मांगनी पड़ती और अनुमति मिलने के बाद ही वह आगे की प्रक्रिया कर सकता।
ओर एक बात नाम के पीछे सिंह, भाई , कौर आदि लगाना यह सब उपाधि में नही आता, नाम के पीछे लगते एसे शब्द किसी समाज या क्षेत्र को प्रदर्शित करते है न ही असमानता को।
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यदि किसी व्यक्ति को पद्मश्री से समान्नित किया गया है और वह इस ‘पद्मश्री’ शब्द का प्रयोग अपने नाम के आगे करता है जैसे कि ‘पद्मश्री राकेश सिंह’ तो क्या यह वैध माना जाएगा ?
जी, उसको वैध माना जाता है
Er name ke age lgana
ऐसा कौन सा व्यक्ति था जिसकी आर्टिकल 18 के तहत उपाधि छिनी गई थी?
मैं एलएलबी हुं मैं सनद नहीं ली हैं.मैं टीचर हुं.
क्या मैं अपने नाम के आगे एडवोकेट लगा सकता हुं.कृपया जाणकारी दिजिय
advocate के लिए अपने क्षेत्र के बार काउंसिल का हिस्सा होना और वकालत करना जरूरी होता है, फिर भी अपने राज्य के बार काउंसिल से एकबार सलाह है
Army aur paramiltry aur central police ke jawano ke naam ke aage shri na lagane aur officer ke naam ke aage shri lagaane ka adhikar savidhan ke kis anuchhed me likha hai. Sir please batana. Thank u sir.
ऐसा किसीभी अनुच्छेद में नही लिखा है, अधिकारी को श्री, आर्मी में जनरल-कमांडर, धार्मिक गुरु को परम पूज्य यह सब समाज और अपने कार्य क्षेत्र की पदानुक्रम से लिखते है. यह सब उपाधि उसको सम्मान देने के लिए होती है, जिसका वह अपने स्वार्थ के लिए कभी उपयोग नही कर सकते.
Thank you so much sir
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महोदय ,
यदि नाम के साथ जाति का नाम है तो क्या यह स्थिति अनुच्छेद 18 के प्रतिकूल होगी ?
Nice article aapne achha likha he ise likhne se answer kafi achha frame ho gya thank you so much
Mera name Raju Kumar hai. Kumar k ant m ranjan laga sakte hai
Awesome knowledge
it is very helpful for me.
thank you so much
ग्रामीणों में अक्सर राजा दरबार के परिवार ठाकुर लगाते हैं और गाँव वाले भी ठाकुर साहब से बुलाते है । क्या यह संविधान के अनुच्छेद 18 का उल्लंघन है ?