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अनुच्छेद 123 अध्यादेश प्रख्यापित करने की राष्ट्रपति की शक्ति | Article 123 In Hindi

पथ प्रदर्शन: भारतीय संविधान > भाग 5 : संघ > अध्याय 3- राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां > अनुच्छेद 123

अनुच्छेद 123: संसद् के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की राष्ट्रपति की शक्ति

123(1): उस समय को छोड़कर जब संसद् के दोनों सदन सत्र में हैं, यदि किसी समय राष्ट्रपति का यह समाधान हो जाता है कि ऐसी परिस्थितियां विद्यमान हैं जिनके कारण तुरन्त कार्रवाई करना उसके लिए आवश्यक हो गया है तो वह ऐसे अध्यादेश प्रख्यापित कर सकेगा जो उसे उन परिस्थितियों में अपेक्षित प्रतीत हों ।

123(2): इस अनुच्छेद के अधीन प्रख्यापित अध्यादेश का वही बल और प्रभाव होगा जो संसद् के अधिनियम का होता है, किन्तु प्रत्येक ऐसा अध्यादेश-

(क) संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखा जाएगा और संसद् के पुनः समवेत होने से छह सप्ताह की समाप्ति पर या यदि उस अवधि की समाप्ति से पहले दोनों सदन उसके अननुमोदन का संकल्प पारित कर देते हैं तो, इनमें से दूसरे संकल्प के पारित होने पर प्रवर्तन में नहीं रहेगा ; और

(ख) राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय वापस लिया जा सकेगा ।

स्पष्टीकरण :- जहां संसद् के सदन, भिन्न-भिन्न तारीखों को पुनः समवेत होने के लिए, आहत किए जाते हैं वहां इस खंड के प्रयोजनों के लिए, छह सप्ताह की अवधि की गणना उन तारीखों में से पञ्चातवर्ती तारीख से की जाएगी ।

123(3): यदि और जहां तक इस अनुच्छेद के अधीन अध्यादेश कोई ऐसा उपबंध करता है जिसे अधिनियमित करने के लिए संसद् इस संविधान के अधीन सक्षम नहीं है तो और वहां तक वह अध्यादेश शून्य होगा ।

123(4): 1 * * * * *


  1. 44वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 की धारा 16 द्वारा (20-6-1979 से) खंड (4) का लोप किया गया, इससे पूर्व यह खंड 38वां संविधान संशोधन अधिनियम 1975 की धारा 2 द्वारा (भूतलक्षी प्रभाव से) अंतःस्थापित किया गया था ।

-संविधान के शब्द

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